विश्व मजदूर दिवस: देश के विकास में श्रमिकों का महत्वपूर्ण योगदान, MP में 90 % योजनाएं लेबरों के लिए

ब्रह्मवाक्य. भोपाल। 1 मई को पूरी दुनिया में हर वर्ष विश्व मजदूर दिवस मनाया जाता है। तीन दशक पूर्व अमेरिका में श्रमिकों के हितों के लिए आन्दोलन किया गया था। तब से मजदूर दिवस के रूप में 1 मई को मनाते आ रहे है। देश में 15 वर्ष से अधिक आयु वाले मजदूरों की बहुत बड़ी संख्या है। जो गांव से लेकर शहर व महानगरों में आसानी से दिख जाते है।

बताया जाता है कि सड़क, बहुमंजिला भवन, नहर, व कृषि प्रधान देश में खेतों की जुताई, बीज बोने, सिंचाई, फसलों के रख रखाव, कटाई व गहाई विभिन्न उद्योगों, विभिन्न संस्थाओं, सफाई कार्यक्रम और दुग्ध उत्पादन का कार्य मजदूरों के बिना संभव नहीं है। कुल मिलाकर देश के विकास में संपूर्ण योगदान मजदूरों का है।

अपने देश में अवकाश नहीं
यहां मजदूर विभिन्न सामाजिक, शैक्षणिक, राजनैतिक, आर्थिक व स्वास्थ्य के क्षेत्र में पिछड़े रहते है। विकसित देशों में इस दिन को सार्वजनिक अवकाश रहता है। लेकिन अब तक भारत में ऐसा नहीं है। श्रमिकों के सर्वाग्रीण विकास के लिए भारत सरकार एवं मप्र सरकार निरन्तर रूप से योजनाएं बनाती रहती है।

सभी मजदूर गरीबी रेखा में रहते है
आंकड़ों के मुताबिक समस्त मजदूर गरीबी रेखा में रहते है। शासन द्वारा मजदूरों के सर्वाग्रीण विकास के लिए बच्चों को निः शुल्क विद्यालय में प्रवेश, स्कालरशिप, गणवेश व पुस्तके आदि उपलब्ध कराई जाती है। वृद्धावस्था पेंशन, निराश्रित पेंशन, प्रधानमंत्री आवास व संबल कार्ड अंतर्गत दी जाने वाली सैकड़ों योजनाएं है।

पांच लाख रुपए तक इलाज फ्री
मजदूरों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए भारत शासन व म.प्र.शासन द्वारा समस्त जांच व इलाज की निः शुल्क व्यवस्था की गई है। भारत शासन द्वारा पांच लाख रुपए तक एक परिवार के इलाज के लिए आयुष्मान योजना द्वारा भारत के किसी उत्कृष्ट अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था है। अपनी ग्राम पंचायत के सचिव, रोजगार सहायक और आशा कार्यकर्ता के माध्यम से आयुष्मान कार्ड अवश्य बनवाएं।

2011 की जनगणना में है गरीब तो मिलेगा लाभ
वर्ष 2011 की जनगणना, सम्बल कार्डधारी, खाद्यान पर्ची को आयुष्मान कार्ड की पात्रता है। श्रमिकों में पोषण के लिए चावल, दाल, नमक पर्याप्त मात्रा में शासन द्वारा हर परिवार को प्रदाय किया जाता है। बच्चों को निःशुल्क टीकाकरण व गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव, संपूर्ण इलाज, एनीमिया व गंभीर बीमारी का इलाज, रक्त की उपलब्धता, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, जिला अस्पताल एवं मेडिकल कालेज अस्पताल में ब्यवस्था रहती है।

इस तरह मिलता है लाभ
गर्भावस्था के दौरान जननी सुरक्षा योजना, प्रसूति सहायता योजना का 16000 रुपए लाभ उनके पोषण के लिए दिया जाता है। श्रमिक गरीब होने के बावजूद अज्ञानता के कारण तम्बाकू उत्पाद व शराब का अत्यधिक मात्रा में सेवन करते है। जिसकी जटिलता के कारण मुख, गले, पेट, आंत, फेफडे, लीवर, स्तन, बच्चेदानी व किडनी में कैंसर की संभावना रहती है। साथ ही टीबी के उन्नमूलन के लिए रोगियों के निःशुल्क जांच, इलाज, पोषण के लिए रुपए 500 सौ प्रति माह इलाज अवधि तक उन्हे प्रदाय किया जाता है।

Sameeksha mishra

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