Rani Durgawati Gaurav Yatra 2023: 23 जून सिंगरौली से शुरू होगी वीरांगना रानी दुर्गावती गौरव यात्रा, 27 जून को शहडोल में पीएम मोदी करेंगे समापन
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ब्रह्मवाक्य रीवा। रानी दुर्गावती के बलिदान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए मध्यप्रदेश में पाँच स्थानों से वीरांगना रानी दुर्गावती गौरव यात्रा निकाली जा रही है। वर्तमान वर्ष रानी दुर्गावती का 500वां जन्म वर्ष है। रानी दुर्गावती की गौरव गाथा को आमजन तक पहुंचाने के लिए पाँच प्रमुख स्थलों से 22 जून से वीरांगना रानी दुर्गावती गौरव यात्रा आरंभ हो रही है। इसका समापन 27 जून को शहडोल में होगा। जनजातीय गौरव यात्रा बालाघाट, दमोह जिले के जबेरा, कालिंजर किला उत्तरप्रदेश तथा सिंगरौली जिले के महुली से गौरव यात्राएं आरंभ होंगी। शहडोल में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी गौरव यात्रा के समापन समारोह में रानी दुर्गावती को श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। यात्रा का नेतृत्व सांसद शहडोल श्रीमती हिमाद्री सिंह करेंगी। यात्रा के सहप्रभारी विधायक धौहनी श्री कुंवर सिंह टेकाम होंगे। यात्रा सिंगरौली जिले के ग्राम महुली से आरंभ होगी।
किन-किन स्थानों में होगी यात्रा –
यात्रा का शुभारंभ 23 जून को सिंगरौली जिले के ग्राम महुली में प्रातः 8 बजे होगा। यात्रा धौहनी, रजनिया, कछरा, धनवाही, निगरी, निवास, पोड़ी, महुआ गांव, भरसेंड़ी तिराहा, परासी, भरसेंड़ा, झारा, चमारी डोल होते हुए दोपहर 2:45 बजे सीधी जिले के भुईमाड़ पहुंचेगी। यात्रा बंजारी होते हुए कुसमी पहुंचेगी जहां यात्रा का रात्रि विश्राम होगा। दिनांक 24 जून को यात्रा का शुभारंभ प्रातः 7:30 बजे होगा। यह यात्रा जूरी, मेड़रा, कमछ, अमगांव, पोड़ी, धुपखड़, टमसार, रामपुर, गोतरा, भदौरा, महखोर, टिकरी, शिकरा, लोहझर, दरिया, बकवा, गिजवार, नारो एवं बरसेनी, पनिहा, जमुआ न 1, खड़ौरा, डांगा, जोबा, देबरी, चुवाही, पांड तिराहा होते हुए सायं 6 बजे चमराडोल पहुंचेगी। वहाँ से शहडोल जिले के ब्यौहारी के लिए प्रस्थान करेगी। यात्रा के दौरान रानी दुर्गावती की गौरव गाथा को आमजन तक पहुंचाया जाएगा और यात्रा में शामिल सभी व्यक्ति 27 जून को शहडोल के लालपुर में आयोजित जनजातीय गौरव सम्मेलन के समापन समारोह में शामिल होंगे।
कौन थी रानी दुर्गावती –
रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को मध्य भारत के प्रमुख किलों में से एक कालिंजर किले में हुआ। इनका विवाह मण्डला के गोड़ राजा संग्राम शाह के पुत्र राजा दलपत शाह से हुआ। दलपत शाह की मौत के बाद रानी दुर्गावती ने गोड़ राजवंश में सन 1550 से 1564 तक शासन किया। उनका शासन काल अत्यंत सफल रहा। मुगल बादशाह अकबर ने अपने साम्राज्य विस्तार की नीति के तहत सरदार आसत खां को बड़ी सेना के साथ मध्य भारत पर आक्रमण करने के लिए भेजा। मुगल सेना ने रानी दुर्गावती के गढ़ को घेर लिया। कई दिनों तक भीषण संघर्ष हुआ। रानी दुर्गावती ने अप्रतिम साहस और बहादुरी के साथ अपनी सेना का नेतृत्व किया। उनके युद्ध कौशल के समक्ष मुगलों को कई बार असफलता का स्वाद चखना पड़ा। अंतत: 24 जून 1564 को मुगलों से संघर्ष करती हुई रानी दुर्गावती जबलपुर जिले के नर्राई नाला क्षेत्र में शहीद हो गईं। रानी दुर्गावती को आज भी पूरा क्षेत्र विशेषकर गोड़ जनजातीय समाज अपनी रानी, संरक्षिका और देवी के रूप में पूजा करता है।