सीखो-कमाओ योजना में नियमित रोजगार प्राप्ति की योग्यता अर्जित करेंगे युवा एक साल तक मिलेगा प्रशिक्षणार्थियों को स्टाईपेंड

ब्रह्मवाक्य रीवा। “मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना” में युवाओं को उद्योगों के साथ सर्विस सेक्टर में कौशल प्रशिक्षण दिलाते हुए स्टाईपेंड की व्यवस्था भी की गई है। युवाओं को नवीनतम तकनीक और प्रक्रिया से व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण दिया जायेगा। इसके लिए योजना से कंपनियों और सर्विस सेक्टर को जोड़ा गया है। इस नवाचारी व्यवस्था से युवाओं को रोज़गार, प्रगति और विकास के नित नए अवसर मिलेंगे।प्रदेश के एक लाख युवाओं को योजना के 46 सेक्टर में 800 से अधिक पाठ्यक्रमों में दक्ष करने का प्रारंभिक लक्ष्य रखा गया है। योजना में मध्यप्रदेश के स्थानीय निवासी 18 से 29 वर्ष के 12वीं या उससे कम कक्षा में उत्तीर्ण युवा को 8 हजार रूपये, आईटीआई उत्तीर्ण को 8 हजार 500 रूपये, डिप्लोमा उत्तीर्ण को 9 हजार रूपये और स्नातक या उच्च शैक्षणिक योग्यता वाले युवाओं को 10 हजार रूपये प्रतिमाह स्टाईपेंड दिया जायेगा।

राज्य शासन की ओर से निर्धारित स्टाईपेंड की 75 प्रतिशत राशि प्रशिक्षणार्थियों को डीबीटी से भुगतान की जायेगी। संबंधित प्रतिष्ठानों द्वारा निर्धारित न्यूनतम स्टाईपेंड की 25 प्रतिशत राशि प्रशिक्षणार्थियों के बैंक खाते में जमा करानी होगी। प्रतिष्ठान अपनी ओर से निर्धारित राशि से अधिक स्टाईपेंड देने के लिये स्वतंत्र होंगे। स्टाईपेंड एक वर्ष तक दिया जायेगा।योजना में युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिये चिन्हित कार्य-क्षेत्र में विनिर्माण क्षेत्र, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, सिविल, प्रबंधन, मार्केटिंग, होटल मैनेजमेंट, टूरिज्म, ट्रायबल, अस्पताल, रेलवे, आईटी सेक्टर, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, बैंकिंग, बीमा, लेखा, चार्टर्ड अकाउंटेंट, मीडिया, कला, कानूनी और विधि सेवाएँ, शिक्षा एवं प्रशिक्षण सहित 800 से अधिक सेवा क्षेत्र में कार्यरत प्रतिष्ठान भागीदारी करेंगे।

7 जून 2023 से प्रतिष्ठानों का पंजीयन एवं कोर्स का चयन कर वैकेंसी प्रकाशित करना प्रांरभ होगा। युवाओं का योजना के पोर्टल पर पंजीयन 15 जून से प्रांरभ होगा। पोर्टल पर कोर्स चयन कर वैकेंसी के विरूद्ध आवेदन करना 15 जुलाई से प्रारंभ होगा। युवा-प्रतिष्ठान-मध्यप्रदेश शासन के मध्य 31 जुलाई से अनुबंध प्रारंभ होंगे। ऑन द जॉब प्रशिक्षण (ओजेटी) 1 अगस्त से प्रारंभ होगा। प्रतिष्ठान अपने कुल कार्य-बल के 15 प्रतिशत की संख्या तक प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दे सकेंगे। जिन प्रतिष्ठानों में कम से कम 20 लोग नियमित रूप से कार्यरत हों, उनके कुल कार्य-बल की गणना ईपीएफ जमा करने के आधार पर की जायेगी।

Sameeksha mishra

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