20 साल के अध्ययन के बाद अमरीकी वैज्ञानिकों का खुलासा, महासागरों के 56% से ज्यादा पानी का रंग बदला, जानिए क्या होगा असर
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ब्रह्मवाक्य, एजेंसी। पिछले दो दशक में महासागरों के 56% से ज्यादा पानी का रंग बदल गया है। यह पृथ्वी की कुल भूमि विस्तार से भी बड़ा है। एक ताजा शोध में यह खुलासा हुआ। इसका कारण जलवायु परिवर्तन बताया है। अमरीका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) और अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों का शोध नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक भूमध्य रेखा के पास के क्षेत्रों में महासागर का रंग समय के साथ हरा होता जा रहा है। यह सतही महासागरों में पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव का संकेत देता है। समुद्र के पानी का हरा रंग फाइटोप्लांकटन में मौजूद हरे वर्णक क्लोरोफिल से आता है। ये ऊपरी महासागर में पाए जाने वाले रोगाणु हैं।
नेशनल ओशनोग्राफी सेंटर, साउथेम्प्टन के मुख्य शोधकर्ता बी.बी. कैल व उनकी टीम ने 2002 से 2022 तक 7 महासागर पर नजर रखी। उन्होंने पहले रंगों की प्राकृतिक विविधताओं का देखा। बाद में दो दशक में हुए बदलाव पर अध्ययन किया गया।
रंगों के बदलते समीकरण में जलवायु परिवर्तन के योगदान को समझने के लिए डटकीविक्ज के 2019 के मॉडल का इस्तेमाल किया गया। पहले ग्रीनहाउस गैसों के साथ और फिर उनके बिना अध्ययन किया गया। ग्रीनहाउस-गैस मॉडल से 20 साल में सतही महासागरों के रंग में बदलाव की जानकारी मिली।