रीवा के बसामन मामा में 13 हेक्टेयर क्षेत्र पर बना गौवंश वन्य विहार, 5 अक्टूबर को जनसंपर्क मंत्री करेंगे लोकार्पण
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ब्रह्मवाक्य/रीवा। रीवा जिले के बसामन मामा में 13 हेक्टेयर क्षेत्र पर गौवंश वन्य विहार बना है। यहां निराश्रित गायों के आश्रय स्थल के रूप में विकसित किया गया है। जनसंपर्क मंत्री राजेन्द्र शुक्ल 5 अक्टूबर को गौवंश वन्य विहार का लोकार्पण करने वाले है। बताया गया कि शुरुआत में 500 निराश्रित गायों से चालू होने वाले वन्य विहार में आज हजारों गायों को आश्रय दिया गया है।
वन्य विहार बनने से आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में ऐरा पशुओं की कठिनाई बंद हो गई है। क्योंकि पहले तो गाय खेत में घुसकर पूरी फसल नष्ट कर दिया करती थी। अब पशुओं के कारण यातायात भी प्रभावित नहीं होता। न ही क्षेत्र की सड़कों में आवारा पशु बैठे दिखते है। वन्य विहार में निराश्रित गायों के चारा एवं भूसा का प्रबंध पशुपालन विभाग एवं संचालन समिति द्वारा किया जाता है।
4 लाख रुपए वार्षिक आय
गौवंश वन्य विहार में रह रही गायों से भारी मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट, गोनायल, हैण्डवाश एवं टायलेट क्लीनर तैयार होता है। इसके बाद करहिया सब्जी मंडी के पास एसपीओ के माध्यम से विक्रय किया जाता है। जिससे गौवंश वन्य विहार को 4 लाख रुपए वार्षिक आय हो जाती है। संचालन समिति द्वारा दुग्ध विक्रय कर औसतन प्रतिमाह 45 हजार रुपए की आय अर्जित की जा रही है।
1049.29 लाख की लागत से नए निर्माण
वन्य विहार में तैयार उत्पाद पूरी तरह से शुद्ध और लाभकारी है। इसी लिए सभी उत्पाद हाथों-हाथ बिक जाते है। वन्य विहार में 1049.29 लाख रुपए की लागत से विभिन्न कार्यों का निर्माण हुआ है। जिसमें गौवंश शेड, भूसा शेड, पानी के हौज, पीसीसी रोड, वर्मी कम्पोस्ट शेड, गोबर गैस यूनिट, रपटा निर्माण, यज्ञशाला निर्माण, रेस्टहाउस निर्माण, पशु चिकित्सालय और गेट का निर्माण कार्य शामिल है।
जैविक खाद इकाई भी संचालित
जिले के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि संचालन समिति द्वारा फास्फेट युक्त जैविक खाद इकाई भी संचालित की जा रही है। गौवंश वन्य विहार में जन सहयोग से बड़ी मात्रा में वृक्षारोपण का कार्य कराया गया है। इसके साथ ही खनिज न्यास मद से गौवंश वन्य विहार में गौवंशों के लिए पेयजल के लिए पंप हाउस व बोरवेल की व्यवस्था भी की गई है। आज बसामन मामा की गौशाला मॉडल बनकर उभरी है।