पितृ पक्ष में भूलकर भी न करें इन कार्यों को, नहीं तो नाराज हो सकते हैं पितर, जानिए श्राद्ध पक्ष में क्या करें और क्या नहीं
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ब्रह्मवाक्य, धर्म-आध्यात्म। इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर से आरंभ चुके हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक, पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होते हैं जो सर्वपितृ अमावस्या के साथ समाप्त हो जाते हैं। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्राद्ध व तर्पण किया जाता है। शास्त्रों के मुताबिक, पितृपक्ष में श्राद्ध व तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीष प्रदान करते हैं। श्राद्ध पक्ष में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जनीय होता है। आइये जानते हैं पितृ पक्ष में किन कार्यों से बचना चाहिए।
- मान्यता है कि पितृ पक्ष में कोई भी नई वस्तु नहीं खरीदना चाहिए। श्राद्ध कर्म में लोहे के बर्तन में खाना बनाने से बचना चाहिए, पितृपक्ष के दौरान पीतल, तांबा या अन्य धातु के बर्तनों का उपयोग उत्तम माना जाता है।
- पितृ पक्ष के दौरान बाल और दाढ़ी नहीं कटवाने चाहिए। मन्यता है कि ऐसा करने से धन की हानि होती है। श्राद्ध पक्ष में लहसुन, प्याज से बने तामसिक भोजन को नहीं खाना चाहिए।
- पितृ पक्ष के दौरान हर दिन शाम को एक दीपक सरसों के तेल या गाय के घी से जलाकर दक्षिण मुख की ओर लौ करके जलाना चाहिए।
- मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान प्रतिदिन पितृ गायत्री मंत्र का जाप करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
- अपनी सामर्थ्यनुसार पितृ पक्ष में ब्राह्मणों या गरीबों को भोजन करा कर दान-दक्षिणा देना चाहिए।
- पितृ पक्ष के दौरान गाय, कुत्ते, चीटियों और कौआ को भोजन देना चाहिए। इन्हे यम का प्रतीक माना गया है। गाय तो वैतरिणी पार करने वाली है। कौआ को भविष्यवक्ता और कुत्ता अनिष्ट का संकेतक कहा जाता है। हमे पता नहीं होता कि मृत्यु के बाद हमारे पितृ किस योनि में गए, इसलिए प्रतीकात्मक रूप से इन्हे भोजन कराया जाता है।
- पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पितृ पक्ष में श्री मद्भागवत महापुराण का मूल पाठ तथा श्रीमद्भगवद गीता का पाठ करना चाहिए।
- पितृ पक्ष में सर्व पितृ आमावस्या पर गरीबों को भोजन कराना चाहिए। मान्यता है कि यदि पितृ पक्ष में भूलवश कोई श्राद्ध करने से रह गया हो तो उसकी पूर्ति अमावस्या को हो जाती है।