‘यौन उत्पीड़न करने वाले पुरुष के बच्चे को जन्म देने के लिए महिला को नहीं किया जा सकता मजबूर’
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ब्रह्मवाक्य, प्रयागराज. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की 12 साल की विकलांग रेप पीड़िता के 25 हफ्ते के गर्भ को समाप्त करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि यौन उत्पीड़न करने वाले पुरुष के बच्चे को जन्म देने के लिए महिला को मजबूर नहीं किया जा सकता। खंडपीठ ने रेप पीड़िता की मां की याचिका पर कहा कि महिला के गर्भ के चिकित्सकीय समापन व उसे मातृत्व की जिम्मेदारी से बांधने के अधिकार से इनकार करना उसके सम्मान के साथ जीने के अधिकार से इनकार करना होगा। उसे अपने शरीर के संबंध में फैसला करने का अधिकार है। वह मां बनने के लिए हां या न कह सकती है। कोर्ट ने मामले में 5 चिकित्सकों की टीम गठित कर पीड़िता की जांच कराने के निर्देश दिए।
कोर्ट से मंजूरी जरूरी
मामले को 27 जून को मेडिकल बोर्ड के समक्ष रखा गया तो राय दी गई कि क्योंकि गर्भावस्था 24 सप्ताह से अधिक है, लिहाजा गर्भपात से पहले अदालत की अनुमति जरूरी है। इसलिए पीड़िता हाईकोर्ट पहुंची।
मां को संकेतों के जरिए बताई आपबीती
याचिकाकर्ता ने कहा कि पीड़िता बोलने-सुनने में असमर्थ है। वह आप बीती किसी को नहीं बता सकती। एक परिचित ने उसका यौन उत्पीड़न किया। उसने इसकी जानकारी मां को संकेतों से दी। आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।