Devshayani Ekadashi: चार माह के लिए बंद होंगे मांगलिक कार्यक्रम, देवशयनी एकादशी का शुभ मुहूर्त व महत्त्व

ब्रह्मवाक्य धर्म अध्यात्म। एकादशी का पूजा पाठ में एक अलग ही महत्त्व होता है माना जाता है की एकादशी का व्रत कई सारे पापों का विनाश करता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार 29 जून को देवशयनी एकादशी है माना जाता है की देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु विश्राम करते हैं। इसलिए इसे देव शयन एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी में पूजा – पाठ,व्रत –उपवास का एक अलग ही महत्त्व होता है। इस एकादशी से चार माह के लिए मांगलिक कार्यक्रमों विराम लग जायेगा। माना जाता है की विष्णु भगवान चार माह के लिए शयनकाल में चले जाते है और सृष्टि का भार देवो के देव महादेव पर होता है। आइए जानते है की इस देव शयन एकादशी में पूजा पाठ कैसे की जाती है और इसको करने का महत्व-

देवशयनी एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा और उनके सभी अवतारों का स्मरण करना चाहिए और बाल गोपाल का अभिषेक कर उनके साथ देवी लक्ष्मी का भी अभिषेक करना चाहिए। विष्णु भगवान का मंत्र ओम विष्णु भगवते वासुदेवाय नमः का उच्चारण करते हुए उनका अभिषेक कर उनको भोग लगाएं। भगवान विष्णु का भोग पीले भोग से करवाए जैसे की बेसन के लड्डू, चने को दाल पीला भोग लगाएं। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को पीले वस्त्र ही चढ़ाने चाहिए।ऐसा करने से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं। बाल गोपाल को पीला रंग का वस्त्र और मोर पंख, बांसुरी, से सजाना चाहिए।

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