देवशयनी एकादशी के साथ ही 5 माह के लिए थम जाएंगे शुभ कार्य, जानिए फिर कब होगी बैंड-बाजा और बारात की शुरुआत
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ब्रह्म वाक्य, डेस्क। देवशयनी एकादशी 29 जून को मनाई जाएगी। 30 जून से चातुर्मास की शुरुआत होने के साथ ही पांच महीने के लिए शुभ कार्यों में प्रतिबंध लग जाएगा। 23 नवंबर देवउठनी एकादशी के दिन से ही शुभ कार्य की शुरुआत होगी। मांगलिक कार्य विवाह, मुंडन, कंछेदन, गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त देखकर ही किए जाने की परंपरा है। ऐसे में चातुर्मास में शुभ मुहूर्त न होने से ये नहीं हो सकेंगे। पंडित रमाकांत तिवारी बताते हैं कि देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू होता है। इस दिन से भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी तक के लिए निद्रा में चले जाएंगे। फिर देवउठनी को निद्रा बाहर आएंगे। तब चातुर्मास का समापन होगा।
देवशयनी एकादशी का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, देवशयनी एकादशी पर स्नान दान का विशेष महत्व है। इस समय गोदावरी नदी में स्नान पुण्य फलदायी होता है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए। यह शुभफलदायक और सुख समृद्धि बढ़ाने वाला होता है।
कब है देवशयनी एकादशी
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास शुरू हो चुका है। इसके शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाएंगे। शुक्ल पक्ष की यह एकादशी भी भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। इस तिथि की शुरुआत 29 जून गुरुवार को सुबह 3.18 से हो रही है और यह तिथि 30 जून को दोपहर 2.42 बजे पर समाप्त हो रही है। यह व्रत 29 जून को रखा जाएगा। इसके पारण का समय शुक्रवार सुबह 8.20 से 8.43 बजे के बीच है। कुछ पंचांग में पारण का समय 30 जून को दोपहर 1.48 बजे से शाम 4.36 बजे तक बताया गया है। 29 जून को हरिशयनी एकादशी पर भगवान की पूजा का समय 10.49 से 12.35 बजे तक बताया गया है।