केरल में मानसून की दस्तक, अब कर्नाटक की ओर किया रुख, मध्यप्रदेश को इस दिन से करेगा सराबोर
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ब्रह्म वाक्य, नई दिल्ली। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार दक्षिण-पश्चिमी मानसून गुरुवार को केरल पहुंच गया। भारतीय मौसम विभाग (आइएमडी) ने मानसून आगमन की घोषणा करते हुए कहा कि अगले तीन-चार दिन में इसके कर्नाटक और तमिलनाडु पहुंचने के आसार हैं। गोवा और मुंबई में यह 17 जून तक दस्तक दे सकता है। मध्यप्रदेश में 22 से 25 जून तक आने की उम्मीद है। अमूमन मप्र में मानसून 15 जून तक आ जाता है, लेकिन इस बार देरी हो जाएगी। हालांकि मौसम वैज्ञानिकों ने इस बार प्रदेश में अच्छी बारिश का अनुमान जताया है। प्रदेश में गुरुवार को भी बेमौसम बारिश का सिलसिला जारी रहा। सीहोर में दोपहर बाद तेज हवाओं के साथ बारिश हुई, जबकि कुछ जिलों में गर्मी के तेवर तीखे रहे।
22 से 25 जून तक मध्यप्रदेश में होगा प्रवेश
आमतौर पर मानसून केरल के तट पर एक जून को पहुंच जाता है। इस बार अल नीनो और चक्रवाती तूफान के कारण यह सात दिन देर से पहुंचा है। मानसून केरल पहुंचने की खबर से आम लोगों के साथ किसानों के चेहरे भी खिल उठे हैं। वे खरीफ सीजन के लिए बुआई की तैयारी शुरू करने वाले हैं। उत्तर-पूर्वी भारत के कई इलाकों में अगले कुछ दिनों में भारी बारिश के आसार हैं। उम्मीद है कि अगले 48 घंटे में मानसून केरल को कवर कर लेगा। मौसम वैज्ञानिक के अनुसार, खरगोन, खंडवा, बैतूल, सिवनी के रास्ते मानसून 22 से 25 जून तक मध्यप्रदेश में प्रवेश कर सकता है।
जलवायु परिवर्तन से बिगड़ी मानसून की चाल
जलवायु परिवर्तन से पिछले कुछ साल में मानसून कभी यह समय से पहले तो कभी देर से केरल पहुंचता है। पिछले साल तीन दिन पहले 29 मई को केरल पहुंचा था। इसका आगमन 2021 में 3 जून, 2020 में 1 जून, 2019 में 8 जून और 2018 में 29 मई को हुआ था।
अर्थव्यवस्था के लिए मानसून महत्त्वपूर्ण
देश में मानसून सिर्फ बारिश की शुरुआत नहीं है। यह अच्छी पैदावार, खुशहाली और तरक्की का भी संकेत है। इसीलिए किसानों, आरबीआइ और सरकार की नजरें मानसून पर रहती हैं। मानसून देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि खाद्यान्न उत्पादन का 40% वर्षा पर निर्भर है।