ओडिशा रेल हादसा: लाशों की ढेर से अचानक आई आवाज ‘जिंदा हूं, मरा नहीं.. पानी पिला दो’
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ब्रह्म वाक्य, एजेंसी। ओडिशा रेल हादसे (Odisha Train Accident) ने अनगिनत लोगों को जीवनभर जख्म दे दिया है। हादसे में मरने वाले में से 100 से ज्यादा लोगों की अभी तक शिनाख्त नहीं हो सकी है। हादसे जुड़ी कई चौंकाने वाली खबर सामने आ रही हैं। मंगलवार को अधिकरियों ने बताया कि हादसे में मारे गए लोगों के शव जहां रखे गए थे, वहां पर एक जिंदा शख्स की पहचान हुई है।
रॉबिन नैया नाम का यह शख्स शुक्रवार की रात तीन ट्रेनों के बीच हुई दुर्घटना के बाद पटरियों पर लेटे हुए मृत मान लिया गया था। बचाव अभियान के दौरान, उसे उठाया गया और सैकड़ों शवों के साथ ओडिशा के बालासोर में ट्रेन दुर्घटना स्थल के करीब एक स्कूल के कमरे में रखा गया था। इसके बाद जब बचावकर्मियों ने उस कमरे में बिखरे पड़े शवों को हटाने के लिए प्रवेश किया तभी लाशों के ढेर के बीच से गुजर रहा था, तो उसे लगा कि एक हाथ अचानक उसके पैर को जकड़ रहा है। और फिर उसने पानी के लिए एक दबी हुई कराह सुनी। “मैं जिंदा हूं, मरा नहीं हूं, कृपया मुझे पानी पिला दो.”
बचावकर्मी को पहले तो विश्वास नहीं हुआ। तब उसने हिम्मत जुटाकर फिर आवाज लगाई। 35 वर्षीय रॉबिन जिंदा मिला। वह संघर्ष कर रहा था और बचाने की गुहार लगा रहा था। बचावकर्मियों ने तुरंत उसे अस्पताल पहुंचाया। पश्चिम बंगाल में उत्तर 24 परगना के चर्नेखली गांव के रहने वाले रॉबिन नैया ने हादसे में अपने पैर खो दिए, लेकिन जिंदा बच गए। वह गांव के सात अन्य लोगों के साथ काम की तलाश में कोरोमंडल एक्सप्रेस से हावड़ा से आंध्र प्रदेश जा रहे थे। हादसे में उन्होंने अपने दोनों पैर गंवा दिए. फिलहाल रॉबिन नैया का गंभीर हालत में मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आर्थोपेडिक वार्ड में इलाज चल रहा है
हादसे के बारे में जानकारी देते हुए रेलवे के मंडल प्रबंधक (पूर्वी-मध्य मंडल) रिंकेश रॉय ने बताया कि लगभग 101 शवों की पहचान होना बाकी है। वर्तमान में ओडिशा के कई अस्पतालों में 200 लोगों का उपचार चल रहा है। वहीं हादसे में मरने वालों की संख्या 278 हो गई है।