जिनके नाम पर रखा गया अहमदनगर का नाम, जानिए कौन थीं महारानी अहिल्याबाई? जिन्होंने किये हैरान कर देने वाले कार्य

ब्रह्म वाक्य, डेस्क। महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ने अहमदनगर नाम बदलकर ‘अहिल्या नगर’ कर दिया है। यह नाम महारानी अहिल्याबाई को सम्मान देते हुए उनके के नाम पर रखा गया है। अहिल्याबाई किसी बड़े राज घराने से नहीं थीं। वह प्रसिद्ध सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव की पत्नी थीं। लेकिन उन्होंने जो कुछ किया, उससे आश्चर्य होता है।महाराष्ट्र दस सीएम एकनाथ शिंदे ने बुधवार को घोषणा करते हुए अहमदनगर नाम बदलकर ‘अहिल्या नगर’ कर दिया। इसके बाद लोगों के बीच नाम बदलने को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। साथ ही लोगों के मन में यह सवाल भी उठ रहा है कि आखिर अहिल्या नाम क्यों रखा गया है और इनका इतिहास से क्या संबंध है। आइए जानते हैं उनके बारे में –

दरअसल, महारानी अहिल्याबाई (Maharani Ahilyabai) प्रसिद्ध सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव की पत्नी थीं। अहिल्याबाई किसी बड़े राज घराने की रानी नहीं थीं। फिर भी उन्होंने जो कुछ किया, उससे आश्चर्य होता है। महारानी अहिल्याबाई होलकर (Maharani Ahilyabai Holkar) भारत के मालवा साम्राज्य की मराठा होलकर महारानी थीं। महारानी अहिल्याबाई (Maharani Ahilyabai) का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर के छौंड़ी ग्राम में हुआ। उनके पिता मंकोजी राव शिंदे, अपने गाव के पाटिल थे। उस दौर में महिलायें स्कूल नहीं जाया कराती थीं, लेकिन अहिल्याबाई के पिता ने उन्हें लिखने -पढ़ने लायक पढ़ाया था।

महारानी अहिल्याबाई (Maharani Ahilyabai) के पति खांडेराव होलकर (Khanderao Holkar) 1754 के कुम्भेर युद्ध में शहीद हुए थे। 12 साल बाद उनके ससुर मल्हार राव होलकर (Malhar Rao Holkar) की भी मृत्यु हो गयी। इसके उन्हें मालवा साम्राज्य की महारानी का ताज पहनाया गया। वह हमेशा अपने साम्राज्य को मुस्लिम आक्रमणकारियो से बचाने की कोशिश करती रहीं, इसके लिए वह खुद अपनी सेना में शामिल होकर युद्ध भी करती थीं। उन्होंने तुकोजीराव होलकर (Tukojirao Holkar) को अपनी सेना के सेनापति के रूप में नियुक्त किया था। रानी अहिल्याबाई ने अपने साम्राज्य महेश्वर और इंदौर में काफी मंदिरों का निर्माण भी किया था। महारानी अहिल्याबाई (Maharani Ahilyabai) की दो संताने थी एक बेटा और एक बेटी। उनके पुत्र का नाम मालेराव और कन्या का नाम मुक्ताबाई था।

सोमनाथ में शिवजी मंदिर सहित विभिन्न तीर्थस्थलों में बनवाई कई धर्मशालाएं
महारानी अहिल्याबाई (Maharani Ahilyabai) ने लोगों के लिए बहुत सी धर्मशालाएं भी बनवाईं। ये सभी धर्मशालाएं मुख्य तीर्थस्थान जैसे गुजरात के द्वारका, उज्जैन, नाशिक, काशी विश्वनाथ, वाराणसी का गंगा घाट, विष्णुपद मंदिर और बैजनाथ के आस-पास ही बनवाईं। मुस्लिम आक्रमणकारियों के द्वारा तोड़े हुए मंदिरों को देखकर ही उन्होंने सोमनाथ में शिवजी का मंदिर बनवाया। जो आज भी हिन्दुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है।

महेश्वर बनाई राजधानी
महारानी अहिल्याबाई (Maharani Ahilyabai) ने सत्ता संभालने के बाद अपनी राजधानी महेश्वर ले गईं। वहां उन्होंने 18वीं में आलीशान अहिल्या महल बनवाया। पवित्र नर्मदा नदी के किनारे इस महल का निर्माण कराया गया। उन दिनों महेश्वर साहित्य, मूर्तिकला, संगीत और कला के क्षेत्र में एक गढ़ बन चुका था। मराठी कवि मोरोपंत, शाहिर अनंतफंडी और संस्कृत विद्वान खुलासी राम उनके कालखंड के महान व्यक्तित्व थे।

हर दिन करती थीं प्रजा से संवाद
महारानी अहिल्याबाई (Maharani Ahilyabai) एक बुद्धिमान, तीक्ष्ण सोच और स्वस्फूर्त शासक के तौर पर जानी जाती हैं। वह अपनी प्रजा से प्रतिदिन संवाद करती थीं। उनकी समस्याएं जानकर उनका निदान करतीं थीं। अपने कालखंड (1767-1795) में महारानी अहिल्याबाई (Maharani Ahilyabai) ने कई ऐसे काम किए कि लोग आज भी उनका नाम लेते हैं। अपने साम्राज्य को उन्होंने समृद्ध बनाया। उन्होंने सरकारी पैसा को बेहद बुद्धिमानी से कई किले, विश्राम गृह, कुएं और सड़कें बनवाने पर खर्च किया। वह लोगों के साथ त्योहार मनाती और हिंदू मंदिरों को दान देतीं।

BM Dwivedi

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