Women Reservation Act: महिला आरक्षण बिल ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ बना कानून, राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद अधिसूचना जारी

ब्रह्मवाक्य, दिल्ली। महिला आरक्षण बिल (women reservation bill) अब कानून बन गया है। संसद के विशेष सत्र में लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) से भी इस बिल को मंजूरी दे दी। राष्ट्रपति स्वीकृति के बाद भारत सरकार द्वारा गजट अधिसूचना (gazette notification) जारी की है। बतादें कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम यानी महिला आरक्षण बिल के कानून बनने के बाद अब विधानसभा और लोकसभा चुनावों में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।

सरकार ने इसके लिए कुछ दिनों पहले विशेष सत्र भी बुलाया था। पहले बिल को लोकसभा से पारित करवाया गया, जहां पर बिल के पक्ष में 454 वोट मिले, जबकि दो सांसदों ने इसका विरोध किया था। जबकि राज्यसभा में दिनभर की चर्चा के बाद वहां से भी पास हो गया, राज्यसभा में किसीने इसका विरोध नहीं किया। एआईएमआईएम के सांसदों के अलावा, शेष सभी सांसदों ने महिला आरक्षण बिल का समर्थन किया। हालांकि, कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष इसमें ओबीसी महिलाओं के लिए अलग आरक्षण देने की मांग की थी।

बतादें कि किसी भी विधेयक को कानून बनाने के लिए पहले उसे बहुमत के साथ लोकसभा और राज्यसभा में पास करवाना होता है। इसके बाद इस पर राष्ट्रपति की मंजूरी ली जाती है। राष्ट्रपति से स्वीकृति व साइन होते ही यह कानून की शक्ल ले लेता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की हरी झंडी मिलने के बाद अब महिला आरक्षण बिल पर अब कानून बन गया है।

उल्लेखनीय है कि पहली बार महिला आरक्षण बिल (women reservation bill) को साल 1996 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा (HD Deve Gowda) की ओर से सदन में पेश किया गया था, लेकिन तब यह पारित नहीं हो पाया था। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) के दौर में भी इस बिल को लाया गया, लेकिन तब भी बहुमत के अभाव पास नहीं हुआ। बाद में साल 2008 में यूपीए-1 की सरकार (UPA-1 government) के दौरान भी यह राज्यसभा में पेश हुआ और 2010 में वहां से पारित भी हो गया। हालांकि, लोकसभा में इस बिल को पारित नहीं करवाया जा सका और फिर 2014 में सरकार गिरने के साथ ही यह विधेयक भी खत्म हो गया।

 

BM Dwivedi

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