विंध्य में गड़ी है BSP की गर्भनाल, घोषित 7 सीटों में 3 पर नहीं खुला खाता, फिलहाल बसपा का सूपड़ा हो चुका है साफ

ब्रह्मवाक्य/रीवा। तीन दशक पहले बसपा ने रीवा जिले से खाता खोलकर समूचे प्रदेश में सियासी हलचल को तेज कर दिया था। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी को 1991 के लोकसभा चुनाव में बसपा के भीम सिंह पटेल ने पटखनी देकर बसपा का आगाज किया था। तब के सियासी जानकार ऐसा महसूस करने लगे थे कि आने वाले दिनों में बसपा एक सशक्त पार्टी के रूप में उभर कर सामने आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

वक्त के साथ बहुजन समाज पार्टी का पतन होना शुरू हो गया और अब हालात यह हैं कि जिस विंध्य में बसपा की गर्भनाल है। वहीं से उसका समूल सफाया हो चुका है। बावजूद इसके 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी ने तैयारी जोर-जोर से शुरू कर दी है और बसपा ने सबसे पहले अपने सात उम्मीदवारों को अभी से मैदान में उतार दिया है।

इन सात प्रत्याशियों में से चार रीवा संभाग से हैं। जिसमें रीवा जिले की सेमरिया और सिरमौर एवं सतना जिले की रैगांव और रामपुर बाघेलान से प्रत्याशियों की घोषणा कर दी गई है। पार्टी ने इस बार नेताओं के अलावा खाकी पहनकर रिटायर हुए एक पुलिस अधिकारी को भी टिकट दिया है। बसपा ने जिन सात सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की है उनमें से तीन सीटें ऐसी हैं जहां से उसका खाता नहीं खुला।

सिरमौर से वीडी, खाकी से खादी की यात्रा शुरू
बसपा ने जो 7 उम्मीदवार घोषित किए हैं। उनमें रीवा की सिरमौर सीट से डीएसपी से रिटायर हुए विष्णु देव पाण्डेय को प्रत्याशी बनाया है। पाण्डेय जब तक पुलिस विभाग में थे, तब तक उनका दबदबा कायम था। सेवानिवृत्त होने के बाद धर्मपत्नी रानी पाण्डेय को जवा जनपद पंचायत से अध्यक्ष बनवाया। अब वे स्वयं विधायक बनने की जुगत में चुनाव मैदान में उतर गए हैं। 1957 में सिरमौर को विधानसभा सीट बनाया गया था। 2008 में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष को 309 वोट से शिकस्त देकर बसपा के राजकुमार उर्मलिया ने इतिहास रचा था। अब वीडी पाण्डेय उस इतिहास को दोहरा पाते हैं या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन टिकट मिलने के बाद से पाण्डेय ने क्षेत्र में जनसंपर्क तेज कर दिया है।

सेमरिया से तीसरी बार पंकज सिंह मैदान में
रीवा की सेमरिया विधानसभा सीट 2008 में अस्तित्व में आई है। यहां से बसपा ने पंकज सिंह को तीसरी बार आजमाया है। इस सीट पर बसपा को कभी भी सफलता नहीं मिली। तीन मर्तबा हुए चुनाव में हर बार भाजपा के उम्मीदवारों ने विजय हासिल की। जिसमें अभय मिश्रा उनकी पत्नी नीलम मिश्रा और मौजूदा विधायक केपी त्रिपाठी है। यहां यह बताना लाजमी है कि अभय और नीलम मिश्रा भाजपा से बगावत कर चुके थे लेकिन अब यह दोनों फिर से घर वापसी कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में पंकज सिंह की राह आसान नहीं है।

रैगांव का चुनावी मिजाज
सतना की रैगांव विधानसभा सीट से देवराज अहिरवार को उम्मीदवार घोषित किया गया है। यह सीट अजा के लिए आरक्षित है। इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। इससे पहले स्वर्गीय जुगल किशोर बागरी भाजपा के टिकट पर चुनाव 5 बार चुनाव जीत चुके हैं। 1977 में रैगांव विधानसभा सीट में पहली बार चुनाव हुआ था। 2013 में बसपा की उषा चौधरी ने जुगल किशोर बागरी के पुत्र जिला पंचायत के उपाध्यक्ष रहे पुष्पराज बागरी को 4109 वोट से शिकस्त देकर चुनावी किला फतह किया था। मौजूदा समय में उषा चौधरी भी भाजपा का दामन थाम चुकी है।

रामपुर बाघेलान का चुनावी इतिहास
सतना की रामपुर बघेलान विधानसभा सीट से पार्टी ने मणिराज सिंह पटेल पर भरोसा जताया है। 1957 में विस सीट बनी रामपुर बाघेलान से 5 मर्तबा कांग्रेस प्रत्याशियों ने चुनाव जीता। जबकि भाजपा के हर्ष सिंह और उनके पुत्र विक्रम सिंह के अलावा प्रभाकर सिंह चुनाव जीतने में सफल रहे। यह सीट अभी भाजपा के विक्रम सिंह के कब्जे में है। यहां से बसपा के रामलखन पटेल 1993 और 2008 में चुनाव जीत चुके हैं। 1993 में रामलखन ने कांग्रेस से प्रत्याशी रहे हर्ष सिंह को 8574 मतों से पराजित किया था। जबकि 2008 में हर्ष सिंह भाजपा से उम्मीदवार थे। तब उन्हें 10718 मतों से पराजय झेलनी पड़ी थी। यह बात दीगर है कि 2013 में हर्ष सिंह ने भाजपा की टिकट पर बसपा के राम लखन सिंह को 24255 मतों से परास्त कर अपनी दोनों हार का बदला ले लिया था।

दिमनी से बलवीर सिंह बसपा के उम्मीदवार
मुरैना की दिमनी विधानसभा सीट से पार्टी ने बलवीर सिंह दंडोतिया को उम्मीदवार घोषित किया है। 1962 में दिमनी को विधानसभा सीट घोषित किया गया था। यह सीट तब अजा के लिए आरक्षित थी लेकिन अब यह सामान्य सीट हो चुकी है। 2013 में बलवीर सिंह 44718 वोट हासिल कर कांग्रेस के रविंद्र सिंह तोमर को 2106 वोट से पराजित कर चुके हैं। तब भी ये बसपा के उम्मीदवार थे। पार्टी ने इस बार फिर इन्हीं पर भरोसा किया है और उन्हें शुरुआती दौर में ही प्रत्याशी घोषित कर दिया है।

निवाड़ी अवधेश प्रताप सिंह प्रत्याशी
1957 में निवाड़ी विधानसभा सीट पर पहली बार चुनाव हुआ था। यह सीट सामान्य वर्ग के लिए है। यहां से बसपा ने अवधेश प्रताप सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। बता दें कि निवाड़ी से अभी तक बसपा का खाता नहीं खुला है। इसी तरह छतरपुर जिले की राजनगर विधानसभा सीट से पार्टी ने राम राजा पाठक को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। 2008 में राजनगर को विधानसभा सीट बनाया गया था। दुर्भाग्य है कि यहां से भी बसपा कभी भी चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हो सकी। 2008 से लगातार कांग्रेस के नाती राजा विक्रम सिंह यहां से विधायक हैं।

राजनगर से रामराजा पाठक उम्मीदवार
छतरपुर की राजनगर विधानसभा सीट पर बीएसपी ने रामराजा पाठक को प्रत्याशी बनाया है। वे साल 2008 में बसपा में शामिल हुए थे। एक बार जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ चुके हैं। वर्तमान में रामराजा पाठक की भाभी हेमलता पाठक नौगांव जनपद अध्यक्ष की अध्यक्ष हैं। इस सीट पर पिछले चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार विक्रम सिंह नातीराजा एक हजार से कम अंतर से चुनाव जीते थे। दूसरे नंबर पर बीजेपी के प्रत्याशी अरविंद पटेरिया मात्र 732 वोटों से चुनाव हारे थे। वहीं बसपा प्रत्याशी विनोद पटेल 28972 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे थे।

Sameeksha mishra

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