3 महीने पहले BJP की सूची जारी होने के मायने: सिद्धांतों से भटकी भाजपा, सिंधिया समर्थक की कटी टिकट, नेता पुत्रों की बल्ले-बल्ले

ब्रह्मवाक्य/भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए बीजेपी ने अपने 39 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। MP से टिकट पाने वाले प्रत्याशियों पर नजर डाले तो कई चौकाने वाले खुलासे हुए है। यहां 3 महीने पहले BJP की सूची जारी होने के कई मायने है। कुल मिलाकर भाजपा सिद्धांतों से भटक गई है। सिंधिया समर्थक की भी टिकट कटी है। वहीं नेता पुत्रों की बल्ले-बल्ले है।

अब पढ़ते है चुनावी गुणा-गणित
एक सप्ताह पहले MP BJP अध्यक्ष वीडी शर्मा की कही बात सच हो गई है। 17 अगस्त को दिल्ली से जारी हुई मध्यप्रदेश के 39 और छत्तीसगढ़ में 21 प्रत्याशियों की सूची से समझ में आ गया है कि भाजपा आने वाले दिनों में कुछ भी कर सकती है। अब अटल के सिद्धांतों वाली भाजपा में जिताऊ उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाएगी। उम्र का कोई फॉर्मूला नहीं है।

75 वर्षीय को टिकट
चंदेरी से 75 वर्षीय जगन्नाथ रघुवंशी को टिकट देकर पार्टी ने उम्र का बंधन सिद्धांत को ढील दी है। वहीं गोहद से सिंधिया समर्थक रणबीर जाटव का पत्ता साफ हो गया है। वे सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा आए थे। रणबीर जाटव का टिकट काटकर भाजपा ने स्पष्ट किया है कि सिंधिया समर्थकों का टिकट भी काटा जा सकता है।

नेता पुत्रों एवं बहुओं पर भरोसा
महाराजपुर से पूर्व विधायक मानवेंद्र सिंह के बेटे कामाख्या प्रताप सिंह, बरगी से पूर्व विधायक प्रतिभा सिंह के बेटे नीरज सिंह एवं सबलगढ़ से पूर्व विधायक मेहरबान रावत की बहू सरला रावत को टिकट देकर पार्टी ने रैगांव उपचुनाव में पकड़ी वंशवाद की लाइन को भी दरकिनार करते हुए नेता पुत्रों एवं बहुओं को टिकट बांटे हैं।

दागी भी दरकिनार
भोपाल मध्य से पार्टी द्वारा दागी मानकर दरकिनार कर दिए गए ध्रुव नारायण सिंह को टिकट देकर क्षेत्र में मजबूत पकड़ वाले उम्मीदवार पर भरोसा जताया है। ध्रुव नारायण सिंह वर्ष 2003, 2008 में लगातार दो बार विधायक रहे। इसके बाद वर्ष 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने टिकट काट लिया। अब एक बार फिर भरोसा किया जा रहा है।

सुबह आप में, शाम काे भाजपा ने दिया टिकट
बालाघाट लांजी में भाजपा ने सुबह ही आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए राजकुमार कर्राये को टिकट देकर अन्य दलों से दल बदल हेतु भी रास्ता खोला है। वहीं महेश्वर से पूर्व चुनाव के बागी राजकुमार मेव को टिकट देकर भाजपा ने पार्टी लाइन से बगावत करने वालों को भी उपकृत किया है।

सिद्धांतों के विपरीत टिकट
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि मध्यप्रदेश के चुनाव में निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि पार्टी बिल्कुल भी रिस्क नहीं लेना चाहती है। वह जिताऊ उम्मीदवार को ही चुनाव लड़ने देना चाहती है। पूर्व में समय-समय पर जारी कई सिद्धांतों के विपरीत टिकट देना इस बात का सबूत है। अभी तक कांग्रेस को कोसने वाली भाजपा की वही स्थिति हो गई है।

सतना जिले के लिए टिकट वितरण के मायने
सतना जिले में चित्रकूट से सुरेंद्र सिंह गहरवार को टिकट देकर पार्टी डैमेज कंट्रोल के लिए समय देना चाहती है। उम्र का बंधन दरकिनार किए जाने के कारण नागेंद्र सिंह की नागौद से टिकट पाने की संभावना प्रबल हो जाती है। पूर्व में वंशवाद की लाइन के कारण टिकट कटने वाले पुष्पराज बागरी को रैगांव से टिकट मिलने की संभावना प्रबल हो जाती है। रामपुर बाघेलान एवं अमरपाटन से वर्तमान उम्मीदवारों को ही टिकट मिलने की संभावना है।

सतना एवं मैहर सीट पर भी मुकाबला पूरी तरह खुला है। यदि किसी अन्य पार्टी का भी जिताऊ उम्मीदवार मिलता है तो उसके टिकट पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इस पर भी आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि नारायण त्रिपाठी को ही भाजपा का उम्मीदवार न बना दिया जाए। वैसे रैगांव, नागौद और मैहर पर भाजपा के फैसले, इन 39 सीटों की तरह चौकाने वाले भी हो सकते हैं।

Sameeksha mishra

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