शिवसेना के बाद अब NCP में फूट, बीजेपी को फायदा ही फायदा, सालभर में महाराष्ट्र की पॉलिटिक्स में आया बड़ा बदलाव

ब्रह्मवाक्य, पॉलिटिक्स। पिछले कुछ समय में जितना बदलाव महाराष्ट्र की राजनीति में देखने को मिला है, उतना शायद ही किसी अन्य राज्य में हुआ हो। एक बार फिर से महाराष्ट्र में बड़ा सियासी घटनाक्रम हुआ। जो रविवार सुबह तक विपक्ष में शामिल थे, वे दोपहर होते-होते एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में आ गए। दरअसल एनसीपी नेता अजित पवार (NCP leader Ajit Pawar) ने कई विधायकों के साथ बगावत करते हुए महाराष्ट्र सरकार को समर्थन दे दिया। अजित पवार ( Ajit Pawar) को महाराष्ट्र का उप-मुख्यमंत्री (deputy chief minister) बनाया गया है, जबकि आठ अन्य शिंदे सरकार में मंत्री बने हैं।

दरअसल, महाराष्ट्र की इस सियासी बदलाव की शुरुआत साल 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद से ही शुरू हो गया था। जब शिवसेना ने बीजेपी के सामने ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री वाली शर्त रख दी। बीजेपी ने जब शिवसेना की मांग को नहीं स्वीकार किया तो शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन करते हुए सरकार बना ली और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री हो गए।

जून, 2022 में शिवसेना में बड़ी फूट हो गई। उद्धव ठाकरे के करीबी माने जाने वाले एकनाथ शिंदे ने 40 से ज्यादा शिवसेना और निर्दलीय विधायकों के साथ असम में डेरा डाल दिया और शिवसेना का एमवीए से अलग होकर बीजेपी के साथ जाने की मांग थी। शुरुआती समय में तो कुछ ही विधायक एकनाथ शिंदे के साथ थे, लेकिन कुछ समय बाद ही उद्धव ठाकरे के कई करीबी विधायकों ने भी असम की ओर रुख कर दिया। जिससे महाराष्ट्र सरकार पर खतरा मंडराता गया। इसके बाद, जून के अंत तक उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और एमवीए की सरकार गिर गई। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना विधायकों ने बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान किया। जिसके बाद शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया गया और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बने। बीजेपी का यह फैसला भले ही सभी को चौंकाने वाला था, लेकिन इससे बीजेपी को बड़ा फायदा हुआ और महाराष्ट्र में फिर से उनकी सरकार आ गई।

वहीँ अब अब अजित पवार ने चाचा शारद पवार को बड़ा झटका दे दिया है। दरअसल, हाल ही में शरद पवार ने बड़ा फैसला लेते हुए अपनी बेटी और एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले व प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। इस बात से अजित पवार काफी दुखी थे। हालांकि, उन्होंने कभी भी खुलकर शरद पवार के इस निर्णय का विरोध नहीं किया, लेकिन माना जा रहा था कि वे कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। हुआ भी ऐसा ही, रविवार दोपहर अचानक ही अजित पवार और कई अन्य एनसीपी विधायक राजभवन पहुंच गए और शिंदे सरकार में शामिल हो गए। जिसके बाद अजित पवार को डिप्टी सीएम बनाया गया, जबकि आठ अन्य एनसीपी नेताओं को मंत्री बनाया गया है। इन नेताओं में प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल जैसे दिग्गज नेता शामिल हैं, जो शरद पवार के करीबी माने जाते हैं। यानी कि एक साल के अंदर ही पहले शिवसेना और अब एनसीपी में भी फूट हो गई।

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले एनसीपी में फूट से सबसे बड़ी राहत बीजेपी को मिली है। दरअसल, एकनाथ शिंदे के साथ सरकार बनाने के बाद भी कुछ सर्वों में महाविकास अघाड़ी को ताकतवर दिखाया गया था।

BM Dwivedi

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