सतपुड़ा भवन में 15 साल में चौथी भीषण आगजनी, फिर भी नहीं किये गए सुरक्षा के कारगर इंतजाम, जानिए किस कदर हो रही लापरवाही

ब्रह्म वाक्य, भोपाल। राजधानी के सतपुड़ा भवन में लगी भीषण आग का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 24 घंटे बाद मंगलवार की शाम तक बिल्डिंग से धुआं उठता रहा और काम चलाऊ अग्निशमन व्यवस्था से उस पर पानी डाला जाता रहा। चौंकाने वाले बात तो यह है कि सतपुड़ा भवन से पुलिस फायर स्टेशन की दूरी करीब 350 कदम है, लेकिन वहां खड़ी 5 गाड़ियां पौन घंटे में भी नहीं पहुंच सकीं। किसी तरह से देर सबेर गाड़ियां पहुंची भी तो काम नहीं आई। 20-25 साल पुरानी इस गाड़ियों से जैसे ही प्रेशर से पानी फेंका जाने लगा, बैरिंग जल गई। बाकी गाड़ियां भी आग बुझाने में असमर्थ ही साबित हुईं। नगर निगम की 5.04 करोड़ की हाइड्रोलिक अग्निशमन भी महज शोपीस बनकर खड़ी रही, क्योंकि न तो उस पर प्रशिक्षित स्टाफ था और न ही हाइड्रोलिक काम कर पा रहा था।

इसके पहले भी हो चुकी आगजनी
खास बात ये भी है कि इस सतपुड़ा भवन में आग लगाने की ये कोई पहली घटना नहीं है। इसी भवन में बीते 15 साल में तीन बड़ी आगजनी की घटना हो चुकी है। 11 मार्च 2005, 21 जून 2012, 14 दिसंबर 2018 को इस बिल्डिंग में लग चुकी हैं। इसके बाद भी आग से सुरक्षा के किये कोई कारगर रणनीति तैयार नहीं की गई थी। सतपुड़ा भवन में लगी आग को लेकर बुधवार को भी छुट्टी रही। वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर यहां के कर्मचारियों की बैठक व्यवस्था अन्य कार्यालयों में की गई है।

सहायक आयुक्त के केबिन से शुरुआत
तीसरी मंजिल पर जनजातीय क्षेत्रीय विकास योजना कार्यालय में सहायक आयुक्त वीरेंद्र सिंह के केबिन में एसी में आग देखी गई। छह महीने पहले 90 लाख से विभाग में मीटिंग हॉल, संचालक और अफसरों के केबिन बने थे। विभाग के पास सालाना 400 करोड़ का बजट है। पीएम आदर्श गांव व स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम की निगरानी करता है। केन्द्र की योजनाओं के लिए फिर डेटा जुटाना होगा।

मानवाधिकार आयोग ने भेजा नोटिस
इधर, इस भीषण आग पर मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है। इस मामले में कलेक्टर, कमिश्नर और नगर निगम को नोटिस भेजा है। जांच कर तीन सप्ताह में जवाब देने कहा गया है।

स्वतंत्र एजेंसी से होनी चाहिए जांच
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि यह एक और भ्रष्टाचार का उदाहरण है। प्रश्न ये है कि आग लगी या लगाई गई। अभी तक बोला कि 12 हजार फाइलें जलीं, पर पता नहीं कितने हजार फाइलें जलीं। इसमें पूरी जांच एक स्वतंत्र एजेंसी से होनी चाहिए। तभी सच सामने आएगा।

सीएम ने बुलाई बैठक तीन दिन में मांगी रिपोर्ट
सतपुड़ा भवन की आग की आंच मंगलवार को प्रशासनिक तौर पर भी दिखी। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सुबह बैठक कर जांच कमेटी को तीन दिन में रिपोर्ट देने कहा। साथ ही बहुमंजिला इमारतों के लिए फायर सुरक्षा ऑडिट पुख्ता करने के निर्देश दिए। वहीं जांच के लिए गठित हाईपावर कमेटी के प्रमुख गृह विभाग के एसीएस डॉ. राजेश राजौरा ने दो बार सतपुड़ा भवन का निरीक्षण किया। टीम ने इलेक्ट्रिकल सेफ्टी, पीडब्ल्यूडी व ईएंडएम विंग और फोरेंसिंक एक्सपर्ट की टीम से परीक्षण कराया। अगले दो दिन में 20 और लोगों के बयान होंगे। गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि जो फाइलें नष्ट हुई हैं, उन्हें रिक्रिएट करेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बैठक में कहा कि भविष्य में इस प्रकार की दुर्घटना न हो, इसके लिए फायर सेफ्टी ऑडिट की पुख्ता व्यवस्था की जाए। यह भी सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सभी बहुमंजिला इमारतों के चारों ओर फायर फाइटिंग सिस्टम को ऑपरेट करने के लिए स्थान हो।

 

BM Dwivedi

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