Papankusha Ekadashi: पापांकुशा एकादशी पर आज जरूर करें इस कथा का पाठ, सुख-सौभाग्य में होगी वृद्धि
ब्रह्मवाक्य, धर्म-आध्यात्म। आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष तिथि की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहा जाता है, जिसका धार्मिक मानयाताओं में विशेष महत्व बताया गया है। पापांकुशा एकादशी आज 25 अक्तूबर, बुधवार को है। पूरे विधि-विधान के साथ पापांकुशा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के जीवन के दुख-दर्द दूर होने के साथ ही सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। पापांकुशा एकादशी पर लक्ष्मी-नारायण की साथ में पूजा की जाती है। पापांकुशा एकादशी का व्रत तब तक पूरा नहीं होता जब तक कि कथा का पाठ नहीं किया जाये। पापांकुशा एकादशी पर कथा का पाठ करना बेहद पुण्यदायक होता है।
पापांकुशा एकादशी पूजा के लिए मुहूर्त
रवि योग में सुबह 06 बजकर 29 मिनट से दोपहर 01 बजकर 30 मिनट तक और वृद्धि योग में प्रात:काल से दोपहर 12 बजकर 17 मिनट तक में पूजा करना उत्तम रहेगा।
पापांकुशा एकादशी व्रत की कथा
प्राचीन काल में विंध्य नामक पर्वत पर क्रोधन नामक बहेलिया रहता था। जो कि अत्यंत अत्याचारी स्वभाव का था। उसका पूरा समय दुष्टता, लूटपाट, मद्यपान और अन्य पाप कर्मों में ही बीतता था। जब जीवन के अंतिम समय में यमराज के दूत बहेलिये को लेने आए और यमदूत ने बहेलिये से बताया कि कल तुम्हारे जीवन का आखिरी दिन है। कल हम तुम्हें लेने आएंगे। यह बात सुनकर बहेलिया बहुत डर गया और भयभीत हो कर महर्षि अंगिरा के आश्रम में जा पहुंचा। महर्षि के पैरों पर गिरकर प्रार्थना करने लगा।
महर्षि अंगिरा से बहेलिये ने कहा कि, मैंने अपना पूरा जीवन पाप कर्म करने में ही व्यर्थ कर दिया। कृपाया मुझे कोई ऐसा उपाय बताइये, जिससे मेरे जीवन के सभी पाप खत्म हो जाएं और ,मुझे मोक्ष मिल सके। बहेलिये के आग्रह पर महर्षि अंगिरा ने उसे आश्विन शुक्ल की पापांकुशा एकादशी का पूरे विधि-विधान से व्रत रखने को कहा। महर्षि अंगिरा के बताये अनुसार, उस बहेलिए ने पापांकुशा एकादशी का व्रत किया। जिसके प्रभाव से उसने अपने सारे बुरे कर्मों से छुटकारा पा लिया। इस व्रत के प्रभाव से उसे भगवान की कृपा मिली और बहेलिया विष्णु लोक को गया। यमदूतों ने यह चमत्कार देखा तो वह बहेलिया को अपने साथ लिए बिना ही लौट गए।