Gupt Navratri 2023: 19 जून से गुप्त नवरात्रि प्रारम्भ, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त व पूजन विधि
![GUPT NAVRATRI](https://brahmavakya.com/wp-content/uploads/2023/06/62ae4a6b-4615-4c90-9f98-e71fb35bf58e.jpg)
ब्रह्मवाक्य धर्म अध्यात्म। हिन्दू धर्म में चार नवरात्री आती है दो नवरात्रि प्रमुख होती दो नवरात्रि गुप्त मानी गयी है। गुप्त नवरात्रि एक माघ मास के शुक्ल पक्ष में और दूसरी आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में आती है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्र में माता नौ रुपों की सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से भक्तजनो पर माता की विशेष कृपा बनी रहती है और मनचाहे फल की प्राप्ति भी होती है। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि प्रारम्भ होती है और इसका समापन नवमी तिथि को होता है। इस वर्ष आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 19 जून 2023 सोमवार से शुरू होगी और 28 जून 2023 को इसकी समाप्ति है। 9 दिन तक 10 महाविद्याओं मां काली, तारा देवी, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, और कमला देवी की पूजा की जाती है। इन सभी देविओं की पूजा करने से भक्तो की अधूरी इच्छा पूरी हो जाती है।
19 जून से शुरू होने वाले आषाढ़ गुप्त नवरात्र में पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना की जाती है। नवरात्रि की पूजा में विशेषकर लाल रंग की चौकी सजाई जाती है और माता को लाल रंग की चुनरी भी ओढ़ाई जाती है। पूजा की सामग्री में फूल, फल, आम के पत्ते, हल्दी, बताशा,रोली,पंचमेवा, पान, सुपारी, लौंग,जावित्री, गंगाजल, दीपक,शक्कर, नारियल आदि शामिल करें। इस बार 19 जून को प्रातःकाल 5:23 बजे से 07:27 के बीच में कलश स्थापना कर लें। और व्रत का संकल्प लेकर पूजा शुरू करें। आइये जानते है की किस दिन कौन सी माता रानी की पूजा करें-
कौन कौन से दिन किस माता की पूजा करें-
– 19 जून दिन सोमवार को मां शैलपुत्री की पूजा
– 20 जून दिन मंगलवार को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
– 21 जून दिन बुधवार को मां कूष्माण्डा की पूजा
– 22 जून दिन वृहस्पतिवार को मां चंद्रघण्टा की पूजा
– 23 जून दिन शुक्रवार को मां स्कंदमाता की पूजा
– 24 जून दिन शनिवार को मां कात्यायनी की पूजा
– 25 जून दिन रविवार को मां कालरात्रि की पूजा
– 26 जून दिन सोमवार को मां महागौरी की पूजा
– 27 जून दिन को मां सिद्धिदात्री की पूजा
सुबह उठकर स्नान पश्चात भक्त नवरात्रि व्रत का संकल्प लेते हैं। माता रानी की चौकी सजाकर पूजा सामग्री साथ रखी जाती है। अखंड ज्योति जलाएं। साथ ही माता की आरती करें और नवरात्रि कथा का पाठ या दुर्गा चालीसा करके पूजा संपन्न की जाती है। फिर भोग लगाने के बाद सभी में प्रसाद बांटा जाता है। गुप्त नवरात्र में मां के नौ रुपों की पूजा करने से माता अपने भक्तों पर विशेष कृपा बनाए रखतीं हैं और भक्तों को मन चाहे फल की प्राप्ति होती है।