हनुमान चालीसा: बजरंगबली का स्मरण करने से संकट होते है दूर, सभी तरह की बाधाएं होती है खत्म, बोले जाते है कलयुग के भगवान

ब्रह्म वाक्य. धर्म अध्यात्म। Hanuman Chalisa in hindi घर में सुख-शांति व प्रेत-बाधा से मुक्ति के लिए ज्यादातर भक्त रोजाना हनुमान चालीसा Hanuman Chalisa का पाठ करते है। यह पाठ संस्कृत में होता है। वहीं कई ऐसे भी श्रद्धालु है जाे हिन्दी में अर्थ जानना चाहते है। ऐसे ही भक्तों के लिए हम दोहा व चौपाई का अर्थ बता रहे है। जिसको पढ़ने के बाद आपका जीवन धन्य हो जाएगा। साथ ही भजन व भक्ति में मन लगेगा। भगवान हनुमान की कृपा से धन व वैभव की प्राप्ती होगी। तो चलिए शुरू करते है…

दोहा:
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।

अर्थ:
श्री गुरुजी महाराज के चरण कमलों की धुलि से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूं, जो चारों फल: धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार॥

अर्थ:
हे पवनकुमार! मैं अपने को शरीर और बुद्धि से हीन जानकर आपका ध्यान कर रहा हूं। आप मुझे शारीरिक बल, सद्बुद्धि एवं विद्या देकर मेरे दु:खों व दोषों का नाश करने की कृपा कीजिए।

चौपाई:
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर।1।

अर्थ:
– ज्ञान और गुणों के सागर श्री हनुमानजी की जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर ! आपकी जय हो । तीनो लोको (स्वर्गलोक, भू-लोक और पाताल लोक )में आपकी कीर्ति है ।

राम दूत अतुलित बल धामा, अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।2।

अर्थ:
हे पवनसुत अंजनीपुत्र श्री राम दूत हनुमानजी आप अतुलित बल के भंडारघर है।

महाबीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी।3।

अर्थ:
हे महावीर बजरंगबली ! आप अनंत पराक्रमी है। आप दुर्बुद्धि को दूर करते हैं तथा सद्बुद्धि वालों के साथ है।

कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा।4।

अर्थ:
आपके स्वर्ण के समान अंग पर सुंदर वस्त्र, कानों में कुंडल और घुंघराले बाल सुशोभित हो रहे हैं

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै, कांधे मूंज जनेउ साजै।5।

अर्थ:
आपके हाथ में वज्र और ध्वजा विराजमान है तथा कंधे पर मूंज का जनेऊ सुशोभित है।

शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन।6।

अर्थ:
आप भगवान शंकर के अवतार और केसरी- नंदन के नाम से प्रसिद्ध है आप अति तेजस्वी प्रतापी तथा सारे संसार की वंदनीय है।

विद्यावान गुनी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर ।7।

अर्थ:
आप समस्त विद्याओं से परिपुर्ण है। आप गुणवान और अत्यंत चतुर हैं। आप श्रीराम का कार्य करने के लिए ललायित रहते हैं

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया।8।

अर्थ:
आप प्रभु श्रीराम के चरित्र सुनने की रसिया है। आपके हृदय में सदा श्री राम लक्ष्मण और सीता जी सुशोभित रहते हैं।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रूप धरि लंक जरावा।9।

अर्थ:
आपने अपना अत्यंत छोटा रूप धारण करके सीता मां को दिखाया तथा भयंकर रूप धारण करके लंका नगरी को जलाया।

भीम रूप धरि असुर सँहारे, रामचन्द्र के काज संवारे।10।

अर्थ:
आपने विशाल एवं भयंकर रूप धारण करके राक्षसो को मारा और श्रीरामचंद्र जी के कार्यों को सफल बनाया।

लाय सजीवन लखन जियाए, श्री रघुबीर हरषि उर लाये ।11।

अर्थ:
आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मणजी को जिलाया, इस कार्य से श्रीराम जी ने हर्षित होकर आपको अपने हृदय से लगा लिया।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।12।

अर्थ:
श्रीरामचंद्रजी ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा कि तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं, अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।13।

अर्थ:
श्रीराम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया कि तुम्हारा यश हजार मुख वाले श्री शेष जी गान करते रहेंगे।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद सारद सहित अहीसा।14।

अर्थ:
सी सनक, श्रीसनातन, श्री सनंदन, श्रीसनत्कुमार आदि मुनि, ब्रह्मा आदि देवता, नारदजी, सरस्वतीजी, शेषनागजी।

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते, कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते।15।

अर्थ:
यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, आपके यश का पूरी तरह वर्णन करने में असमर्थ है तो फिर कवि तथा विद्वान उनका वर्णन कैसे कर सकते हैं।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना, राम मिलाय राज पद दीह्ना।16।

अर्थ:
आपने वानरराज सुग्रीव का श्रीराम जी से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने।

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना, लंकेश्वर भए सब जग जाना।17।

अर्थ:
आपके परामर्श का विभीषण ने पूर्णता: पालन किया, इसी कारण लंका के राजा बने, इस बात को सब संसार जानता है।

जुग सहस्त्र जोजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुर फल जानू।18।

अर्थ:
जो सूर्य दो हजार योजना दूरी पर है उसे (सूर्य) आपने मीठा फल समझकर निगल लिया।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं, जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं।19।

अर्थ:
आपने श्रीरामचंद्रजी की मुद्रिका (अंगूठी) मुंह में रखकर महा समुद्र को पार किया। आपके लिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं है ।

दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।20।

अर्थ:
इस संसार में जितने भी कठिन काम है, वे सभी आपकी कृपा मात्र से सरल हो जाते हैं।

राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे।21।

अर्थ:
श्रीरामचंद्रजी के द्वार के आप रखवाले (द्वारपाल) हैं, उनके दरबार में आपकी आज्ञा के बिना किसी को प्रवेश नहीं मिल सकता ।(अर्थात श्रीराम-कृपा पाने के लिए आपकी कृपा आवश्यक है।)

सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डर ना।22।

अर्थ:
जो आपकी शरण में आता है,उसे सभी सुख मिलते हैं। जिसके आप रक्षक है उसे डर किसी बात का नहीं रहता । को जलाया।

आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हाँक तै काँपै।23।

अर्थ:
आप स्वयं ही अपने तेज के वेग को संभाल सकते हैं। आपकी गर्जना से तीनो लोग कांपने लगते हैं।

भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै।24।

अर्थ:
जो आपका नाम जपते हैं उनके पास भूत – पिशाच आदि की बाधाएं नहीं आ सकती है।

नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा।25।

अर्थ:
वीर हनुमानजी का निरंतर जप करने से रोग नष्ट हो जाते हैं और सब कष्ट दूर हो जाते हैं।

संकट तै हनुमान छुडावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।26।

अर्थ:
हे हनुमानजी! जो मन,कर्म और वाणी के द्वारा आपका ध्यान करता है, उसकी आप संकटो से रक्षा करते हैं।

सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा।27।

अर्थ:
तपस्वी श्रीरामचंद्रजी सबके राजा है, उनके सब कार्यों को आपने ही पूरा किया।

और मनोरथ जो कोई लावै, सोई अमित जीवन फल पावै।28।

अर्थ:
हे हनुमान जी! आप के पास कोई किसी प्रकार की भी अभिलाषा करता है, उसकी कामना पूरी होती है और उसे भक्ति भी प्राप्त होती है।

चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा।29।

अर्थ:
आपका यश चारों युगो (सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग) में फैला हुआ है, जो संपूर्ण संसार को प्रकाशित करता है।

साधु सन्त के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे।30।

अर्थ:
आप साधु-संतों तथा सज्जनों की रक्षा करते हैं तथा राक्षसों का संधार करते हैं । आप श्री रामजी के दुलारे रहे हैं।

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता।31।

अर्थ:
आपको माता श्री जानकी से यह वरदान मिला हुआ है कि आप किसी को भी “आठ सिद्धियां”और “नौ निधियां” (सब प्रकार की संपत्ति) दे सकते हैं ।

राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा।32।

अर्थ:
आप अनंत काल से श्री रघुनाथ जी के दास है। आपके पास वृद्धावस्था और असाध्य रोगों के नाश के लिए ‘ राम-नाम’ रुपी औषधि है।

तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै।33।

अर्थ:
आपका भजन करने से लोग श्रीरामजी को प्राप्त कर लेते हैं और अपने जन्म-जन्मांतर के दुख दूर कर लेते हैं ।

अंतकाल रघुवरपुर जाई, जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई।34।

अर्थ:
अंत समय में मृत्यु होने पर वे प्रभु के धाम को जाते हैं। और यदि जन्म लेते तो श्री राम भक्त कहलाएंगे।

और देवता चित्त ना धरई, हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।35।

अर्थ:
कोई भी प्राणी और किसी देवता को हृदय में बिना धारण के आपकी सेवा से ही जीवन के सभी सुख प्राप्त कर लेते हैं।

संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।36।

अर्थ:
हे वीर श्रेष्ठ हनुमानजी ! जो आपका हृदय से स्मरण करता है उसके सब संकट दूर हो जाते हैं और सब पीड़ा मिट जाती है।

जै जै जै हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।37।

अर्थ:
हे स्वामी हनुमानजी! आपकी जय हो जय हो जय हो। आप मुझ पर श्री गुरुदेवजी के समान कृपा कीजिए।

जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महा सुख होई।38।

अर्थ:
जो कोई इस हनुमान चालीसा को सौ बार पाठ करता है वह सब बंधुओं से छूट जाता है और उसे महान सुख मिलता है।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा।39।

अर्थ:
भगवान शंकर स्वयं साक्षी है कि जो इसे पड़ेगा उसे निश्चित सफलता प्राप्त होगी।

तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय मह डेरा।40।

अर्थ:
हे नाथ श्री हनुमानजी! “तुलसीदास” सदा ही “श्रीराम” का सेवक हैं। ऐसा विचार कर आप उसके हृदय में निवास कीजिए।

दोहा:
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥

अर्थ:
हे पवन पुत्र श्री हनुमान जी! आप आनंद मंगलो के स्वरूपहैं, हे देवराज! आप श्रीराम, सीताजी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।

Sameeksha mishra

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