गुरु प्रदोष व्रत से जून की शुरुआत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन का विधान
![](https://brahmavakya.com/wp-content/uploads/2023/06/Guru-Pradosh-Vrat-2023.jpg)
ब्रह्म वाक्य, धर्म आध्यात्म। जून माहीने की शुरुआत प्रदोष व्रत के साथ हो रही है। प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। यह दिन भगवान शिव को समर्पित है। यदि प्रदोष गुरुवार के दिन पड़े तो इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है। आज ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष का गुरु प्रदोष व्रत है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत में भगवान शिव की सच्चे मन से उपासना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिषियों के मुताबिक यदि किसी के दांपत्य जीवन में कष्ट, परेशानी या वाद-विवाद है तो उसे गुरु प्रदोष व्रत रखना चाहिए। इससे भगवान शिव के साथ गुरु देव बृहस्पति का आशीर्वाद भी मिलता है। गुरु प्रदोष व्रत का पुण्य सौ गायों को दान करने के बराबर होता है। गुरु प्रदोष व्रत से सारे कष्टों से निवारण हो जाता है। गुरु प्रदोष व्रत शत्रुओं को शांत करने वाला होता है।
गुरु प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
गुरु प्रदोष व्रत 1 जून को दोपहर 1 बजकर 39 मिनट से प्रारंभ होगा जो अगले दिन 2 जून को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। पूजा का मुहूर्त 1 जून को शाम 07 बजकर 14 मिनट से रात 09 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। इस दिन शिव पूजा के लिए दो घंटे से ज्यादा का समय मिलेगा।
पूजन विधि
प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करें और सफेद या पीले वस्त्र धारण करें। इस दिन काले रंग के कपड़े बिल्कुल भी न पहनने। पूरे घर में गंगा जल का छिड़काव करें। शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव का दूध, दही और पंचामृत से अभिषेक करें। भगवान शिव को पीले या सफेद चंदन से टीका लगाएं। भगवान शिव को भांग, धतूरा और बेलपत्र अर्पित करें और पुष्प चढ़ाकर भगवान शिव की आराधना करें। इस दौरान ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें और माता पार्वती का भी ध्यान लगाएं।