रीवा सड़क हादसे में 5वीं मौत, बेटा-बेटी और पति के बाद पत्नी ने छोड़ा साथ, चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप, 2 घंटे चक्काजाम
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ब्रह्मवाक्य.रीवा। सड़क हादसे में घायल महिला की मौत के बाद परिजन ने चिकित्सकों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए चक्कजाम कर दिया। अस्पताल के बाहर परिजन सहित बड़ी संख्या में लोगों ने मार्ग बंद करते हुए दोषी चिकित्सकों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की। परिजनों कि यह भी मांग रही कि अस्पताल के अधीक्षक या अन्य जिम्मेदार यहां आकर बात करें, लेकिन कोई वहां नहीं पहुंचा। लगभग दो घंटे बाद यह चक्कजाम समाप्त हुआ और फिर इसके बाद पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू हो पाई।
विश्वविद्यालय थाना अंतर्गत बाईपास में इटौरा के समींप रविवार को हुए सड़क हादसे में बाइक में सवार पति, बेटी और बेटे के बाद पत्नी भावना कुशवाहा ने भी इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। गौरतलब है कि मारूति वैन की ठोकर से बाइक में सवार राजेश कुशवाहा और उनकी बेटी आराध्या (तीन साल) की मौके पर मौत हो गई थी।
जबकि पुत्र आयुष (सात साल) ने रात में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया था। भावना का इलाज हड्डी वार्ड में चल रहा था। मंगलवार की शाम भावना की भी मौत हो गई। भावना की मौत के साथ ही चिकित्सकों पर इलाज में लापरवाही का आरोप सामने आ गया। बुधवार की सुबह पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही आक्रोश सड़क पर उतर आया। हालांकि एंबुलेस आदि की आवाजाही को बाधित नहीं होने दिया।
चिकित्सकों की लापरवाही से गई जान
अस्पताल के सामने चक्कजाम करने के दौरान अमहिया और विश्वविद्यालय थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे और समझाने का प्रयास किया। नायब तहसीलदार यतीश शुक्ला भी पहुंच गए। परिजनों का कहना था कि चिकित्सकों की लापरवाही से जान गई है। हालत गंभीर होने के बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया गया। ऐसे में लापरवाही करने वाले चिकित्सकों पर एफआईआर दर्ज की जाए।
बाहर के डॉक्टर करेंगे जांच
इसके साथ ही अस्पताल अधीक्षक यहां आकर चर्चा करें। एसडीएम अनुराग तिवारी भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने परिजन को आश्वस्त किया कि जांच टीम बनाएंगे। परिजन ने कहा कि बाहर के डॉक्टर इस टीम में रखे जाएं। जिस पर आश्वासन दिया गया कि बाहर के चिकित्सकों की टीम बनाकर जांच कराई जाएगी। जांच में जो भी तथ्य आएंगे उसके अनुसार कार्रवाई होगी।
प्राइवेट प्रेक्टिस बंद कराई जाए
मृतका के परिजन ने संभागीय आयुक्त के नाम एक ज्ञापन यह भी सौंपा है कि सरकारी चिकित्सकों की प्राइवेट प्रेक्टिस बंद कराई जाए। आरोप लगाया कि प्राइवेट प्रेक्टिस की वजह से अस्पतालों में चिकित्सक ध्यान नहीं दे रहे हैं। यही वजह है कि यहां भर्ती होने वालों की जान जा रही है।