हल्दी की खेती से लाखों का मुनाफा कमाती है ये महिला किसान, पीएम मोदी कर चुके हैं सम्मानित
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ब्रह्मवाक्य, नर्मदापुरम। हल्दी की खेती से एक प्रगतिशील महिला किसान ने अपनी किस्मत चमका ली। बात कर रहे हैं नर्मदापुरम जिले के ग्राम सोमलवाड़ा की महिला किसान कंचन शरद वर्मा की, जो जैविक फसल और फल की खेती के लिए जानी जाती हैं। अपने इस काम के जरिये उन्होंने एक अलग पहचान बनाई है। खेती के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए इन्होंने कई पुरस्कार भी हासिल किये हैं। महज एक एकड़ में 40 क्विंटल गेहूं का उत्पादन कर 2020 में उन्होंने कृषि कर्मण अवॉर्ड भी जीता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कंचन वर्मा को यह अवॉर्ड प्रदान किया था।
नर्मदापुरम से करीब 30km दूर ग्राम सोमलवाड़ा में कंचन अपने खेत मे ही घर बना कर निवास करती हैं। कंचन आंध्रप्रदेश की सुरोमा किस्म की हल्दी की खेती कर खूब मुनाफा कमा रही है। अब जिले मे अन्य किसान भी प्रेरित होकर हल्दी की खेती करने लगे हैं। अब जिले मे लगभग 100 हेक्टेयर मैं हल्दी की खेती हो रही है।
कंचन ने हल्दी की खेती तीन साल पहले शुरू की थी। शुरुआत में उन्होंने 1 एकड़ से की थी। पहले साल ही उन्होंने 100 क्विंटल हल्दी की पैदावार की, जो सूखने पर करीब 16 से 17 क्विंटल हल्दी हुई। इस हल्दी से उन्होंने एक लाख रुपए का फायदा कमाया। अगने साल उन्होंने उद्यानिकी विभाग से आंध्र प्रदेश से मिलने वाली प्रसिद्ध सुरोमा किस्म की हल्दी चार एकड़ में लगाई गई। जिसमें प्रति एकड़ 100 क्विंटल पैदावार की। सूखने पर 17 क्विंटल प्रति एकड़ हुई। इसी तरह से इस साल कंचन ने 6 एकड़ में हल्दी लगाई है।
कंचन के मुताबिक हल्दी में किसी भी प्रकार का कोई रोग नहीं लगता है। नर्मदापुरम जिले की जमीन हल्दी के लिए बहुत अच्छी है, जिससे अच्छी पैदावार होती है। पति शरद वर्मा और हमारे बच्चे भी साथ में खेतों में काम करते हैं। इसके अलावा 10 लोगों को रोजगार दिया है। जो खेतों की देखभाल करते हैं। हमें हल्दी बेचने के लिए कोई प्रचार- प्रसार नहीं करना पड़ता है। और न ही मंडी जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। आसपास के गांव के लोग घर से ही हल्दी खरीद कर ले जाते हैं। थोक व्यापारी हल्दी खरीद कर लेकर जाते हैं। हल्दी के साथ ही अमरूद, कटहल, बैंगन-भिंडी सहित अन्य फल व सब्जियां भी बगीचे में लगाए गए हैं।