Petrol या Diesel कार खरीदें का फैसला लेने से पहले जान लें ये 5 जरूरी बातें, ताकि निर्णय लेने में न हो चूक
ब्रह्मवाक्य, डेस्क। कार पेट्रोल हो या डीजल, दोनों की अपनी-अपनी अलग खूबियां और खामियां होती हैं। इसलिए, यह निर्णय लाना कि कौन सी आपके लिए बेहतर है, यह थोड़ा मुश्किल है। लेकिन, पेट्रोल और डीजल कारों से संबंधित कुछ ऐसी जानकरियां हैं जिन्हे यदि आप जान लें तो निर्णय लेना काफी हद तक आसान हो जायेगा। हम आपको यहां पर ऐसी 5 बातें बताने वाले हैं, जो आपको पेट्रोल या डीजल कार का चुनाव करने में मदद करेगी –
रजिस्ट्रेशन वैलिडिटी
डीजल इंजन वाली कारों के रजिस्ट्रेशन 10 साल कर दिया है, जबकि पेट्रोल कारों के रजिस्ट्रेशन 15 साल तक मान्य रहते हैं। ऐसे में दिल्ली-एनसीआर में आप महंगी डीजल कार खरीदने के बाद भी उसे पेट्रोल कारों के मुकाबले 5 साल कम रख पाएंगे।
कीमत और रखरखाव
आमतौर पर पेट्रोल इंजन वाली कार कम महंगी होती है और इनका रखरखाव भी आसान होता है। जबकि डीजल इंजन वाले वाहन ज्यादा महंगे होते हैं और इनके रखरखाव पर भी ज्यादा ध्यान देना पड़ता है। डीजल इंजन वाली कारें पेट्रोल इंजन कारों की तुलना में महंगी होती है।
टॉर्क और पावर
डीजल इंजन वाले वाहन कम स्पीड पर ज्यादा टॉर्क देते हैं और ज्यादा वजन खींच पाते हैं। अर्थात इनमें पुलिंग पावर ज्यादा होती है। वहीँ पेट्रोल इंजन वाले वहां तेज स्पीड पर ज्यादा पावर दे पाते हैं।
माइलज
पेट्रोल इंजन वाले वाहन की तुलना में डीजल इंजन ज्यादा माइलेज देते हैं। अर्थात कम ईंधन में ज्यादा चलते हैं। तो यदि आपकी रनिंग ज्यादा है, तो उस स्थिति में डीजल इंजन वाली कार फायदेमंद हो सकती है।
डीजल कारों का भविष्य
कई कार निर्माता कंपनियां डीजल कारें बनाना बंद कर चुकी हैं, ऐसे में डीजल कारों के भविष्य को लेकर अनिश्चितता है। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) डीजल कार नहीं बेचती है।