डाटा प्रोटेक्शन बिल को कैबिनेट की मंजूरी, कंपनियों की मनमानी पर कसी जाएगी नकेल, जानिए बिल के प्रावधान…
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ब्रह्मवाक्य, नई दिल्ली। प्राइवेसी को सुरक्षित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को बहुप्रतीक्षित डाटा प्रोटेक्शन बिल (data protection bill) को मंजूरी दे दी। इसे संसद के मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है। इसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों तरह के पर्सनल डाटा शामिल हैं। विदेश से भारतीयों की प्रोफाइलिंग कर वस्तुएं और सेवाएं दी जा रही हों तो यह उन पर भी लागू होगा।
जानकारी के मुताबिक नया विधेयक 2022 में संसद से वापस लिए गए बिल का संवर्द्धित स्वरूप है। इसमें प्रावधान है कि निजी डाटा तभी प्रोसेस हो सकता है, जब व्यक्तिगत तौर पर इसके लिए सहमति दी गई हो। डाटा इकट्ठा करने वालों को उसकी सुरक्षा करनी होगी और इस्तेमाल के बाद उसे डिलीट करना होगा। हालांकि राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के आधार पर सरकारी एजेंसियों को छूट मिल सकती है।
बच्चों के अधिकारों का ध्यान रखते हुए बिल में प्रावधान है कि किसी भी कंपनी या इंस्टीट्यूशन को ऐसे डाटा एकत्र करने की इजाजत नहीं होगी, जो बच्चों को नुकसान पहुंचाता हो। टारगेटेट विज्ञापनों के लिए बच्चों के डाटा को ट्रैक नहीं किया जा सकेगा। बच्चों के डाटा तक पहुंच के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य होगी।
बिल में प्रावधान
- प्राइवेसी या डाटा सुरक्षा के नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर 500 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- बिल में पहली बार यूजर्स के लिए ‘ही/शी’ का प्रयोग किया। ऐसा कर महिलाओं को समान प्राथमिकता।
- यूजर के अकाउंट डिलिट करने पर कंपनियों को उसका डाटा डिलीट करना होगा।
- कंपनियां यूजर के डाटा को व्यावसायिक उद्देश्यों की पूर्ति तक ही रख सकेंगी।
- कंपनियां डाटा को लम्बे समय तक नहीं रखा जा सकेगा। शुरुआती जरूरत के बाद हटाना जरूरी होगा।
- सरकार ही अन्य देशों या क्षेत्रों को डाटा ट्रांसफर कर सकती है। राष्ट्रीय सुरक्षा व कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त प्रावधान किए।