गुब्बारे बनाने से शुरू किया था कारोबार! आज देश की इस टायर कंपनी ने रच दिया इतिहास, जानिए कैसे
ब्रह्म वाक्य, डेस्क। MRF यानि मद्रास रबर फैक्ट्री के शेयर ने इतिहास रच दिया है। ये देश का पहला स्टॉक है, जिसने एक लाख रुपये (1 Lakh Per Share) के आंकड़े को छुआ है। इस कंपनी की शुरुआत एक छोटे से शेड में गुब्बारे के निर्माण से शुरू हुई थी। देश की आजादी के पहले एक युवा उद्यमी, के.एम. मामेन मपिल्लई ने इसकी नीव रखी थी। तिरुवोट्टियूर, मद्रास (अब चेन्नई) में एक छोटे से शेड में गुब्बारा (Ballon) बनाने के काम से इन्होने शुरुआत की थी। उस वक्त किसी को यह अंदाजा नहीं था कि, गुब्बारे बनाने वाली ये फैक्ट्री एक दिन दुनिया की दूसरी सबसे स्ट्रांगेस्ट टायर ब्रांड के तौर पर उभरेगी। इतना ही नहीं, आज इस कंपनी के शेयर्स दलाल स्ट्रीट में भूचाल ही ला दिया है। मद्रास रबर फैक्ट्री यानी MRF के शेयरों ने आज इतिहास रच दिया है। ये देश का पहला स्टॉक है, जिसने एक लाख रुपये के आंकड़े को छुआ है।
सड़क से लेकर सचिन के बल्ले तक दस्तक देने वाली कंपनी MRF की शुरुआत बेहद ही दिलचस्प है। टायर की दुनिया का बादशाह बनने से पहले इस कंपनी के फाउंडर के.एम. मामेन मपिल्लई (K. M. Mammen Mappillai) गुब्बारे बनाने का काम करते थें। मपिल्लई का जन्म केरल में साल 28 नवंबर 1922 को एक सीरियाई ईसाई परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम के. सी. मामन मपिल्लई और कुंजनदम्मा थे, जिनके आठ बेटे और एक बेटी थी और वह सबसे छोटे थें। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अपने गृह नगर से हुई और प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में एडमिशन लिया जहां उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
साल 1946 में मपिल्लई ने कारोबारी दुनिया में कदम रखा। उन्होनें तिरुवोट्टियूर, मद्रास में एक छोटे से शेड में गुब्बारे बनाने का काम शुरू किया। इस फैक्ट्री में कोई बड़ी मशीनरी नहीं थी। ज्यादातर बच्चों के खिलौने, इंडस्ट्रियल ग्लव्स और लैटेक्स से बनी हुई चीजों का ही निर्माण होता था। समय के साथ कारोबार में विस्तार हुआ और साल 1952 में मपिल्लई ने मद्रास रबर फैक्ट्री (MRF) के नाम से ट्रेड रबर बनाने वाली कंपनी की स्थापना की।