हिन्दू धर्म में गुरु मंत्र क्यों लिया जाता है, जानिए इसका महत्व
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ब्रह्मवाक्य धर्म अध्यात्म। हिन्दू धर्म में गुरु को सबसे ऊंचा पद दिया गया है क्योंकि गुरु हमे अक्षरों का ज्ञान कराते हैं। प्रथम गुरु माता पिता को माना गया है दूसरे गुरु जो हमे शिक्षा देते हैं और। तीसरे गुरू जो हमारे ईष्ट से मिलाकर हमे मोक्ष प्रदान करते हैं। गुरु मंत्र का बहुत महत्व होता है गुरु मंत्र को लिए बिना हमारे जप तप पूजा पाठ दान पुण्य का कोई मतलब नहीं रहता है।गुरु की वंदना करने से हमारे जीवन में सभी कार्य पूर्ण हो जाते है। गुरु को भगवान से ऊंचा माना गया है। और गुरु मंत्र लेने के कई सारे पुण्य बताए गए हैं।
गुरु मंत्र लेने से हमें अपने ईष्ट को प्राप्त करना आसान होता है। गुरु हमारा मार्गदर्शन करते हैं।गुरू मंत्र लेने से हमें जीवन की सभी बाधाये समाप्त हो जाती हैं।गुरू मंत्र से हमें मोक्ष की प्राप्ति होती है। गुरू मंत्र में देवता का नाम होता है। गुरु मंत्र लेने से हमें अपने ईष्ट को मिलने और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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गुरु मंत्र जप विधि-
गुरू मंत्र ॐ से शुरू होता है। यह सभी मंत्रों का राजा माना जाता है। ॐ से ही सभी मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः। ॐ बृं बृहस्पतये नमः।सुबह उठकर स्नान करके पूजा पाठ करके गुरू मंत्र को 108 बार जप करना चाहिए। हिंदू धर्म में 108 को पवित्र माना गया है।गुरु मंत्र लेते समय हम गुरु को गुरु दक्षिणा देते हैं।गुरू मंत्र लेने से हमारे जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।और हम जीवन में उन्नति करते है। गुरु की सेवा करते हैं।